सनातन धर्म का प्राणाधार है बाल रामायण : डॉ दीपंकर गुप्त
बरेली रिपोर्ट जसवीर सिंह मौर्य – बाल रामायण के रचयिता डॉ दीपंकर गुप्त विभिन्न विद्यालयों में बाल सभाओं द्वारा बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कार जगाने के उद्देश्य से अपनी साहित्यिक प्रस्तुतियां प्रदान कर रहे हैं।। इसी श्रंखला में लायंस विद्या मंदिर, बरेली के सभागार में बाल रामायण वर्कशाप आयोजित की गयी। कार्यक्रम में डॉ दीपंकर गुप्त छात्र – छात्राओं को वर्कशाप में बाल रामायण पर बोलते हुए बताया कि प्रभु श्री राम के आदर्शों की संपूर्ण पावन गाथा बाल रामायण जीवित ग्रंथ है। वर्तमान में आधुनिक चकाचौंध, पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रकोप तथा बदलते परिवेश में हमारी भारतीय संस्कृति दिन प्रतिदिन विकृत होती जा रही है। हमारी नई पीढ़ी अपने राष्ट्र ,धर्म और भाषा से अपरिचित होती जा रही है। ऐसे में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्श भारत के भावी कर्णधारों में नई चेतना के साथ नैतिक मूल्य एवं संस्कार जगाने में बहुत ही समर्थ एवं सक्षम है। उन्होंने कहा कि रामायण हमें मानव से महामानव बनने की प्रेरणा देती है ।इस अवसर पर उन्होंने बाल रामायण की प्रतियां समस्त अध्यापकों के साथ-साथ छात्रों को भी भेंट की । कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती वैशाली जौहरी, श्रीमती अंजू सिंह, श्रीमती नीलम पाराशरी, श्रीमती गुंजन अग्रवाल, श्रीमती भाग्यवती, श्रीमती मीनाक्षी कश्यप, श्रीमती आरती रस्तोगी, श्रीमती नमिता एवं कार्यालय सहायक श्री सुशील शर्मा उपस्थित रहे। बाल रामायण वर्कशाप के समापन पर प्रधानाचार्या श्रीमती वैशाली जौहरी ने डॉ दीपंकर गुप्त द्वारा बाल रामायण पर केंद्रित बालसभा हेतु उनकी प्रस्तुति के प्रति आभार प्रकट किया।