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हाई कोर्ट में लंबित दो याचिकाओं की वापसी के बाद खुल सकता है उपचुनाव का रास्ता

मिल्कीपुर /अयोध्या (मंडल ब्यूरो गोपीनाथ रावत)उच्च न्यायालय में केस विचाराधीन होने के चलते मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा मिल्कीपुर में उप चुनाव की तिथि नहीं घोषित की गई। सभी राजनैतिक दल महीनों से उपचुनाव की तैयारी में लगे हुए थे। लेकिन अचानक उपचुनाव की घोषणा न होने के कारण उन्हें निराश होना पड़ा है।   ज्ञात हो कि 2022 के आम चुनाव में नतीजे 10 मार्च को आए थे। तत्कालीन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने अपने प्रतिद्वंदी गोरखनाथ बाबा को लगभग 12600 मतों से पराजित किया था। गोरखनाथ बाबा ने चुनाव आयोग से निर्वाचित विधायक अवधेश प्रसाद के नामांकन पत्र के साथ दाखिल हलफनामे की कॉपी ली थी, जिसमें पाया गया कि जिस अधिवक्ता द्वारा शपथ पत्र पर नोटरी की गई है उस अधिवक्ता के लाइसेंस की वैधता 2011 में ही समाप्त हो गई थी जिसका नवीनीकरण नहीं कराया गया था। इसके बाद विधायक गोरखनाथ बाबा ने 21 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को रद्द कर उन्हें विधायक घोषित करने की मांग की। याचिका की पहली सुनवाई 25 अप्रैल 2022 को हुई और न्यायालय ने याचिका की सुनवाई करते हुए अवधेश प्रसाद और चुनाव आयोग को मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके बाद से अब तक मुकदमे में तारीख ही पड़ती रही और कोई नतीजा नहीं आया। इसी बीच अवधेश प्रसाद समाजवादी पार्टी के टिकट पर फैजाबाद से सांसद निर्वाचित हो गए और उन्होंने मिल्कीपुर सीट से अपना त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद से लगातार सभी राजनीतिक दल उपचुनाव की तैयारी में लगे हुए थे। मंगलवार को जब 10 उपचुनाव की सीटों के बजाय निर्वाचन आयोग ने 9 सीटों के चुनाव की ही घोषणा की तो सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए। बाद में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि केस विचारथीन होने के कारण चुनाव की घोषणा नहीं की गई है।इसके पूर्व मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के डफलपुर गांव निवासी शिव मूर्ति ने उच्च न्यायालय में इसी संदर्भ में रिट याचिका दाखिल की थी उक्त रिट याचिका में भी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। अब मिल्कीपुर विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा न होने पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें उच्च न्यायालय में विचाराधीन केस की तरफ टिक गई हैं। लंबित केसों की वापसी के बाद ही उपचुनाव का रास्ता साफ हो सकता है।

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