मिल्कीपुर मंडल वीरों ब्यूरो गोपीनाथ रावत उपचुनाव में भाजपा उतारेगी खांटी सांगठनिक प्रत्याशी**मिल्कीपुर अयोध्या**भारतीय जनता पार्टी अयोध्या से नए प्रवेश में नया राजनीतिक संदेश देने की प्रयास में है। यह संदेश मिल्कीपुर से दिए जाने की तैयारी है। इसके लिए मिल्कीपुर उपचुनाव में पार्टी खांटी सांगठनिक प्रत्याशी उतारना चाहती है। इसको लेकर संघ, भाजपा सहित अनुषांगिक संगठन गंभीर मंथन में है। एक-एक दावेदार की पूरी कुंडली खंगाली जा रही है। भाजपा मिल्कीपुर उपचुनाव के जरिए दो संदेश देना चाहती है। एक तो वह लोकसभा चुनाव की हार को इत्तेफाकिया साबित करना चाहती है दूसरा बीजेपी के राजनीति को नई दिशा से जुड़ा है। भाजपा अब संगठन के लोगों पर दांव लगाएगी। यह भविष्य के लिए एक बहुत बड़ा संकेत हो सकता है। यह दोनों संदेश है मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में दिए जाने की तैयारी है। उच्च सांगठनिक सूत्रों की माने तो अंदर खाने में इन दोनों बिंदुओं की खास फोकस है।।**मिल्कीपुर विधानसभा सीट आरक्षित जाति के लिए आरक्षित है। कैडर का प्रत्याशी आने से साल 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए संगठन से प्रत्याशी तय किए जाने का संकेत निकलेगा*।*कार्यकर्ताओं को सहेजने में सुविधा होगी। टिकट की दौड में कई नेता है। इसके पूर्व विधायकों से लेकर जिला पंचायत सदस्य, संगठन के पदाधिकारी औरअतीत में दूसरे दलों से आए नेता तक शामिल है। *सूत्र बताते हैं कि प्रदेश में कई राउंड की चर्चा के बाद मामला दिल्ली दरबार तक पहुंच गया है। यहां संघ, भाजपा के साथ ही अनुषांगिक संगठन भी मंथन में शामिल है। मिल्कीपुर के प्रत्याशी को लेकर गंभीरता से अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी स्तर के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने अयोध्या में संगठन से जुड़े जनप्रतिनिधियों को लेकर टिप्पणी कर दी है। मतलब संगठन से प्रत्याशी दिए जाने से है। पार्टी सूत्रों की माने तो दावेदारी की पूरी पृष्ठभूमि तलाशी जा रही है। इसके लिए अनुषांगिक संगठन से कई दावेदारों को लेकर अपने विंग के जरिए जानकारी ली गई। संघ की पृष्ठभूमि आईटीसी, ओटीसी के साथ संगठन से जुड़े होने की अवधि, दल बदल करने के साथ ही अन्य बिंदु शामिल रहे। संगठन ऐसा प्रत्याशी लाना चाहती है, भले ही उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो लेकिन कैडर का हो।भले ही चुनाव संगठन को लड़ना पड़े।**सूत्र कहते हैं कि प्रत्याशी की सूची में से अन्य के साथ, एक ऐसे नाम पर फोकस है जो राजनीति में आने के बाद सपा-बसपा की आंधी के दौरान भी पार्टी छोड़कर नहीं गया, जबकि उसे तमाम तरह के प्रलोभन दिए गए। वह संगठन का पदाधिकारी भी है।राजनीति में क्षण प्रतिक्षण बदलाव के मद्देनजर नाम का खुलासा उचित नहीं है, लेकिन इस पर सहमति बनाने की कोशिश है। दिल्ली के तार अयोध्या के अनुषांगिक संगठनों से सीधे जुड़े हैं। सोमवार को भी इसको लेकर दिल्ली में चर्चा हुई। अगले कुछ ही दिन में प्रत्याशी के घोषणा होने की उम्मीद है।